वैदिक ज्योतिष में राहु और केतु का विशेष महत्व है। जब जन्म कुंडली में राहु और केतु के बीच सभी ग्रह आ जाते हैं, तब कालसर्प दोष बनता है। यह दोष व्यक्ति की सफलता, वैवाहिक जीवन, आर्थिक स्थिति, मानसिक शांति और संतान सुख पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

कालसर्प दोष क्या है? 

जब जन्म कुंडली में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरू, शुक्र और शनि — ये सातों ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाएँ, तब इसे कालसर्प दोष कहा जाता है। 

यह दोष वर्तमान जीवन में संघर्ष बढ़ाने के साथ-साथ पूर्वजन्म के कर्मों का भी संकेत माना गया है।

कालसर्प दोष कैसे पहचानें?

कालसर्प दोष कैसे पहचानें? — प्रमुख संकेत

अगर आपकी कुंडली में यह योग है तो आपको निम्नलिखित स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है:

 संकेत                               प्रभाव                             

 सफलता में देरी                          मेहनत के बाद भी फल नहीं            

 विवाह में बाधा                           रिश्ते टूटना, दांपत्य तनाव         

 आर्थिक अस्थिरता                      बार-बार नुकसान, कर्ज               

 करियर रुकावट                        नौकरी में असफलता, प्रमोशन में बाधा 

 स्वास्थ्य समस्याएँ                       अनिद्रा, तनाव, मानसिक परेशानी      

 भय और अवसाद                      आत्मविश्वास की कमी                 

 संतान संबंधी समस्याएँ                 गर्भाधान में कठिनाई                

 शास्त्रों या मुकदमे                      अवैध विवाद                    

इसके अतिरिक्त, व्यक्ति की जीवन में अनपेक्षित उतार-चढ़ाव बढ़ जाते हैं।

 कालसर्प दोष के प्रकार

वैदिक ज्योतिष के अनुसार कालसर्प दोष के 12 मुख्य प्रकार हैं — जैसे:

अनंत कालसर्प दोष

कुलिक कालसर्प दोष

वासुकी कालसर्प दोष

शंखपाल, पद्म, विशाख, शेषनाग आदि

किस प्रकार का कालसर्प दोष है — इससे उसकी तीव्रता और प्रभाव तय होता है।

कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव

 जीवन क्षेत्र                        संभावित दुष्प्रभाव     

 करियर                                     अस्थिरता, बेरोजगारी    

 विवाह                                       देरी, दाम्पत्य कलह     

 स्वास्थ्य                                     मानसिक तनाव, डर        

 आर्थिक स्थिति                            संपत्ति हानि                

 सामाजिक जीवन                         प्रतिष्ठा प्रभावित     

 मानसिकता                                नकारात्मकता, अकेलापन 

कई बार तो व्यक्ति बार-बार प्रयास करने के बाद भी सफलता नहीं पा पाता।

कालसर्प दोष के उपाय

घरेलू और धार्मिक उपाय:

 महामृत्युंजय जाप

 राहु-केतु शांति

 नाग देवता की पूजा

 शिवलिंग पर कच्चा दूध अभिषेक

 श्रवण सोमवार व्रत

कालसर्प दोष निवारण पूजा

यह पूजा निम्न स्थानों पर विशेष प्रभावशाली मानी जाती है:

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग— नासिक

महाकालेश्वर (उज्जैन)

त्र्यंबकेश्वर में यह पूजा बहुत ही प्राचीन परंपरा के अनुसार विशिष्ट विधि से की जाती है:

1. गणेश पूजन

2. कालसर्प दोष विशेष अनुष्ठान

3. मंतर-जाप और अभिषेक

4. हवन

5. नाग-प्रतिमा प्रवाहित

पूजा के पश्चात व्यक्ति जीवन में सकारात्मक परिवर्तन अनुभव करता है।

निष्कर्ष

कालसर्प दोष जीवन में चुनौतियाँ बढ़ा सकता है, लेकिन सही पूजा और उपायों से इसका प्रभाव कम या समाप्त भी हो सकता है। यदि आप उपरोक्त संकेतों का अनुभव कर रहे हैं, तो देरी न करें —ज्योतिषीय सलाह और पूजा दोनों अनिवार्य हैं। त्र्यंबकेश्वर में यह पूजा कराने का विशेष महत्व है। कालसर्प दोष जीवन में संघर्ष अवश्य देता है, लेकिन यह सफलता के द्वार भी खोलता है।

यदि सही समय पर सही स्थान पर और शिवेश गुरु जी जैसे विद्वान पंडित के निर्देशन में पूजा कराई जाए तो जीवन की दिशा बदल सकती है।

कालसर्प दोष से जुड़े सामान्य प्रश्न

कैसे पता चले कि मेरे पास कालसर्प दोष है?

कुंडली में राहु-केतु के बीच सभी ग्रह हों — तभी यह दोष बनता है। सही जानकारी ज्योतिषाचार्य ही दे सकते हैं।

क्या कालसर्प दोष हमेशा अशुभ होता है?

नहीं, यदि शुभ ग्रह मजबूत हों तो प्रभाव कम हो जाता है।

कालसर्प दोष पूजा कब कराएं?

सोमवार, नाग पंचमी, महा शिवरात्रि जैसे दिनों में विशेष प्रभाव।

पूजा कितने समय की होती है?

आमतौर पर 2–3 घंटे में पूरी हो जाती है।

क्या पूजा के बाद तुरंत परिणाम मिलते हैं?

परिवर्तन धीरे-धीरे जीवन में दिखाई देते हैं।

Reference – https://navbharattimes.indiatimes.com/astro/grah-nakshatra-in-hindi/kaal-sarp-dosh-puja-benefits-symptoms-puja-vidhi-kaal-sarp-dosh-ke-upay/articleshow/100844490.cms

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