महामृत्युंजय जप वैदिक परंपरा का एक अत्यंत शक्तिशाली और पवित्र मंत्र है। इसे त्र्यंबकम् मंत्र या मृत्यु को जीतने वाला मंत्र भी कहा जाता है।

यह भगवान शिव का उपासना मंत्र है, जो कठिन समय, रोग, भय, संकट और अकाल मृत्यु आदि जैसी परिस्थितियों से मुक्ति के लिए जपा जाता है।

त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।

यह मंत्र व्यक्ति को भय, मृत्यु और दुखों से बचाते हुए नए उत्साह और जीवन शक्ति देता है।

महामृत्युंजय जप कब किया जाता है? महत्व, समय और लाभ

Table of Contents

महामृत्युंजय जप कब किया जाता है?

महामृत्युंजय जप को विशेषतः इन परिस्थितियों में करने की सलाह दी जाती ह—

गंभीर बीमारी में

 जब रोगी की स्थिति गंभीर हो

 रोग जल्द ठीक न हो रहा हो

 अस्पताल में एडमिट या आपातकालीन अवस्था

जीवन में बड़े संकट या दुर्घटना के संकेत

 अचानक भय, एक्सीडेंट का खतरा, नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव

ग्रह दोष या अशुभ योग

कालसर्प दोष, पितृ दोष, नाड़ी दोष आदि होने पर

परिवार में बार-बार अशुभ घटनाएँ

 धन हानि

 कानूनी विवाद

 रिश्तों में टूटन

मानसिक तनाव और नकारात्मक विचार

 अवसाद

 अनिद्रा

 भय और असुरक्षा

शुभ समयों में भी जप किया जाता है

 जन्मदिन, शादी की सालगिरह

 नए घर या वाहन लेने से पहले

 बड़े व्यवसाय की शुरुआत पर

यह जप हर परिस्थिति में सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।

महारुद्राभिषेक और महामृत्युंजय जप का संयुक्त महत्व

त्र्यंबकेश्वर और श्रेष्ठ शिवधामों में

रुद्राभिषेक + महामृत्युंजय जप

का विशेष महत्व माना जाता है।

इससे शिव कृपा बढ़कर तुरंत शुभ फल प्रदान करती है।

जप की संख्या और विधि

108 बार — रोजाना जप

1008 बार — गंभीर संकट में

1.25 लाख (125,000) जप — श्रेष्ठ प्रभाव हेतु

जप के साथ

 शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र अर्पण

 रोली, चंदन, धूप-दीप

 यथासंभव दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठना

इन सभी से मंत्र की ऊर्जा तेज़ी से बढ़ती हैं।

महामृत्युंजय जप के चमत्कारिक लाभ

शारीरिक लाभ

 गंभीर बीमारियों से रक्षा

 रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि

 आयु में वृद्धि

मानसिक लाभ

 तनाव और अवसाद से राहत

 आत्मविश्वास और धैर्य में वृद्धि

 भय, बुरे सपने समाप्त

आध्यात्मिक लाभ

 नकारात्मक शक्तियाँ दूर

 जीवन में शांति और सकारात्मकता

 ईश्वरीय संरक्षण प्राप्त

पारिवारिक लाभ

 कलह समाप्त

 सुख और समृद्धि में वृद्धि

 घर में शुभ ऊर्जा का प्रवेश

निष्कर्ष

महामृत्युंजय जप भगवान शिव की ऐसी अनमोल कृपा है, जो व्यक्ति के जीवन को मृत्यु भय, रोग, संकट और दुःखों से सुरक्षित करती है।

सही स्थान, सही समय और अनुभवी गुरु के मार्गदर्शन में किया गया त्र्यंबकेश्वर में शिवेश गुरु जी को कालसर्प दोष पूजा और महामृत्युंजय जप के लिए अत्यंत अनुभवी और विश्वसनीय पंडित माना जाता है। उनके निर्देशन में की गई पूजा और जप से जीवन में शीघ्र राहत, सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

महामृत्युंजय जप से जुड़े सामान्य प्रश्न

क्या रोगी स्वयं जप कर सकता है?

हाँ, परंतु परिवार, मित्र या विद्वान पंडित भी कर सकते हैं।

क्या जप से तुरंत लाभ मिलता है?

अनेक लोगों को तुरंत मानसिक शांति और राहत का अनुभव होता है।

क्या यह जप कालसर्प दोष में मददगार है?

हाँ, यह अशुभ ग्रहों के प्रभाव को शांत करता है।

क्या जप के दौरान व्रत रखना आवश्यक है?

सात्विकता और शुद्धता का अनुसरण करना सर्वश्रेष्ठ होता है।

 कितने दिनों तक जपाया जाता है?

आम तौर पर 7, 11, 21 या 31 दिनों का संस्कार किया जाता है।

Reference – https://kaalsarpdoshpooja.com/blog/why-is-maha-mrityunjaya-jaap-done/

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