भारतीय ज्योतिष में जन्म कुंडली बहुत महत्वपूर्ण होती है। ग्रहों की स्थिति जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है। जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आते हैं, तो इसे कालसर्प दोष कहते हैं। यह दोष जीवन में बाधाएँ, आर्थिक कठिनाइयाँ, पारिवारिक तनाव और मानसिक अशांति का कारण बनता है। लेकिन उचित पूजा-पाठ और उपायों से इस दोष को शांत किया जा सकता है।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से यह जानेंगे कि कालसर्प दोष क्या है, इसके कारण, लक्षण और इसे दूर करने के उपाय क्या हैं।

कालसर्प दोष क्या है?

कालसर्प दोष वह बनता है जब जन्म कुंडली के सभी सात ग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि) राहु और केतु के बीच फँस जाते हैं। इसे अशुभ योग कहा जाता है।

यह योग 12 प्रकार का होता है, जैसे- अनंत, कुलिक, वासुकी, शंखपाल, पद्म, महापद्म, तक्षक, कारकोटक, शंखचूड़, घातक, विषधर और शेषनाग कालसर्प योग।

कालसर्प दोष के कारण

  1. पिछले जन्म के कर्मों का प्रभाव।
  2. पितृ दोष या पूर्वजों की अपूर्ण इच्छाएँ।
  3. जीवन में किए गए कुछ नकारात्मक कर्म।
  4. ग्रहों की अशुभ स्थिति।

कालसर्प दोष के लक्षण

  1. कर्मों में बार-बार असफलता।
  2. आर्थिक कठिनाइयाँ और कर्ज की समस्या।
  3. पारिवारिक कलह और मानसिक तनाव।
  4. संतान सुख में बाधा।
  5. विवाह या दांपत्य जीवन में कठिनाइयाँ।
  6. बार-बार बुरे सपने आना।
  7. स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ।

कालसर्प दोष निवारण के उपाय

  1. भगवान शिव की आराधना करें और रोज़ “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
  2. नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करें।
  3. सोमवार को शिवलिंग पर दूध, जल और बेलपत्र चढ़ाएँ।
  4. राहु-केतु शांति के लिए मंत्र जाप और हवन कराएँ।
  5. त्र्यंबकेश्वर (नाशिक) या उज्जैन जैसे पवित्र स्थलों पर कालसर्प दोष पूजा करवाना सबसे प्रभावी माना गया है।

कालसर्प दोष पूजा विधि

कालसर्प दोष निवारण पूजा त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र) में विशेष रूप से प्रसिद्ध है। पूजा विधि यह होती है –

  1. पूजा का शुभ मुहूर्त देखकर आरंभ किया जाता है।
  2. सबसे पहले गणपति पूजन और संकल्प।
  3. पितृ तर्पण और पितृ शांति।
  4. कालसर्प दोष शांति मंत्रों का जाप।
  5. राहु-केतु पूजा और हवन।
  6. अंत में आशीर्वाद और प्रसाद वितरण।

यह पूजा योग्य और अनुभवी पंडित द्वारा ही कराई जानी चाहिए।

निष्कर्ष

कालसर्प दोष जीवन में कई प्रकार की चुनौतियाँ लाता है, परंतु यह स्थायी नहीं होता। सही पूजा, मंत्र-जाप और श्रद्धा के साथ किए गए उपायों से इसका प्रभाव काफी कम किया जा सकता है। यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है, तो त्र्यंबकेश्वर में शिवेश गुरु जी के मार्गदर्शन में पूजा करवाना सर्वोत्तम रहेगा।
उनके अनुभव से आप अपने जीवन में शांति, सफलता और सकारात्मकता वापस पा सकते हैं।

कालसर्प दोष से मुक्ति के उपाय से जुड़े सामान्य प्रश्न

क्या कालसर्प दोष हमेशा जीवन भर परेशान करता है?

नहीं, अगर समय पर पूजा और योग करें, तो इसकी प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

कालसर्प दोष पूजा कहाँ करनी चाहिए?

 त्र्यंबकेश्वर (नाशिक) कालसर्प दोष पूजा के लिए सबसे प्रमुख और पवित्र स्थान है।

क्या कालसर्प दोष केवल पिछले जन्म के कर्मों से बनता है?

हाँ, यह पूरी तरह पिछले जन्म के कर्मों और पितृ दोष से होता है। 

पूजा का सही समय कौन सा है?

नाग पंचमी, महाशिवरात्रि या किसी शुभ मुहूर्त में।

Reference – https://hi.quora.com/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AA-%E0%A4%A6%E0%A5%8B%E0%A4%B7-%E0%A4%95%E0%A5%8B-

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