पितर (आगत्य) सुरक्षा और समृद्धि के रक्षक होते हैं। जब पितरों का शिकारों जैसा क्रूर योग सूर्य, चंद्रमा या अन्य ग्रहों पर जन्म कुंडली में दिखाई देता है, तब पितृ दोष कहलाता है। पितृ दोष रहने से जीवन में बाधाएँ, आर्थिक संकट, संतान सुख में विलंब, पारिवारिक कलह, स्वास्थ्य समस्याएँ और आकस्मिक परेशानियाँ बनी रहती हैं।
आमतौर पर पितृ दोष निवारण के लिए त्र्यंबकेश्वर (नासिक), गया (बिहार), उज्जैन, हरिद्वार जैसे तीर्थों में पूजा की जाती है, लेकिन अगर किसी कारणवश व्यक्ति वहाँ न जा सके, तो घर पर भी पितृ दोष पूजा और उपाय करके राहत पाई जा सकती है।

पितृ दोष क्यों होता है?
पूर्वजों की आत्मा की शांति न होने पर
परिवार में अनजाने में किए गए पाप
पूर्वजों के श्राद्ध और तर्पण का न होना
किसी मृत परिवारजन की अधूरी इच्छाएँ
अचानक मृत्यु या दुर्घटना में हुए निधन
पितृ दोष के मुख्य लक्षण
बार-बार आर्थिक हानि
संतान प्राप्ति में बाधा
विवाह में विलंब या संबंध टूटना
दिष्टी विषमय स्थितियाँ घर में निरंतर अशांति और बीमारियाँ
नौकरे-धंधे में असफलता
साधना और पूजा का फल न मिलना
यदि इनमें से कई लक्षण दिखाई दें, तो पितृ दोष की संभावना होती है।
पितृ दोष पूजा विधि घर पर
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
सामग्री उपयोग
तांबे का लोटा पानी सहित तर्पण के लिए
काले तिल पितरों को तर्पण हेतु
सफेद पुष्प अर्पण हेतु
कुशा (दूब) धार्मिक शुद्धि
धूप, दीप, कपूर पूजा व्यवस्था
पंचामृत नैवेद्य
पितर भोज (ब्राह्मण भोजन) पुण्य लाभ हेतु
पितृ पक्ष (श्राध पक्ष)
सोमवार या शनिवार
इन दिनों में पूजन को अधिक फलदायी माना जाता है।
पूजा प्रक्रिया
(1) स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें
पूजा घर को साफ रखें और पूर्व या उत्तर दिशा की ओर बैठें।
(2) दीपक जलाएँ
घी या सरसों के तेल का दीप जलाएँ।
(3) संकल्प करें
अपने पितरों का नाम और गोत्र लेते हुए
“मेरे पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए यह पितृ दोष पूजा कर रहा/रही हूँ।”
(4) कुशा या दूब रखें
पवित्रता का प्रतीक।
(5) पितरों का ध्यान और आहुति
तांबे के लोटे में पानी भरें, काले तिल और फूल डालें।
दाहिने हाथ की अंजलि बनाकर यह मंत्र बोलते हुए तर्पण दें—
“ॐ पितृदेवाय नमः।”
“ॐ सरस्वत्यै स्वधा नमः।”
“ॐ पितृभ्यो स्वधा नमः।”
(6) मंत्र और स्तोत्र का पाठ पितरों के लिए
पितृ गायत्री मंत्र
“ॐ पितृभ्यो विद्महे जगत धाराय धीमहि तन्नो पितृ प्रचोदयात्।”
शिव मंत्र
“ॐ नमः शिवाय”
महा मृत्युंजय मंत्र
108 बार जपने पर श्रेष्ठ माना गया है।
(7) ब्राह्मण भोजन / पितर भोजन
अगर संभव हो तो ब्राह्मण या गरीब को भोजन कराएँ।
(8) दान
कपड़े, अनाज, काला तिल, और आवश्यकता का सामान दें।
पूजा के समय ध्यान रखने वाली बातें
सही पूजा का निष्ठापूर्ण पालन करने के लिए सलाहें
भोजन सात्त्विक रखें
द्रोह, झूठ और अपशब्दों से बचें
सभी परिवार के सदस्य शामिल हों
पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता रखें
घर पर प्रतिदिन का छोटा पितृ दोष उपाय
शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाएँ
रविवार को कौओं या गाय को भोजन कराएँ
प्रतिदिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएँ
हर अमावस्या पर तर्पण करें
धार्मिक विशेषज्ञ की सहायता क्यों आवश्यक?
यदि पितृ दोष कुंडली में अत्यधिक प्रभावी हो, तो घर पर पूजा हमेशा काफी नहीं होती। ऐसे में त्र्यंबकेश्वर, नासिक में विशेष नारायण नागबली व पितृ दोष निवारण पूजा करना यथातथ होता है।
निष्कर्ष
पितृ दोष जीवन में गंभीर बाधाएँ उत्पन्न करता है, लेकिन सही विधि से पूजा और पूर्वजों का सम्मान करते हुए इसे कम या नष्ट किया जा सकता है।
यदि आप पितृ दोष या कालसर्प दोष से बेबस हैं, तो त्र्यंबकेश्वर में अनुभवी और विश्वसनीय गुरु जी से मार्गदर्शन लेना सबसे उत्तम है। त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प पूजा के लिए शिवेश गुरु जी सबसे ज्यादा अनुभवी और विश्वसनीय पंडितों में से एक हुए हैं। उनके द्वारा विधि-विधान के साथ पूजा करने से हजारों लोगों को लाभ मिला है।
घर पर पितृ दोष पूजा कैसे करें से जुड़े सामान्य प्रश्न
क्या पितृ दोष हमेशा अशुभ होता है?
हाँ, यह जीवन में बाधाएँ और असफलताएँ लाता है।
क्या केवल पितृ पक्ष में ही पूजा करनी चाहिए?
हाँ, अमावस्या और विशेष दिनों पर भी की जा सकती है।
घर पर पूजा करने से पूरी तरह दोष समाप्त हो जाता है?
यदि दोष हल्का हो तो हाँ।
यदि दोष गहरा हो तो त्र्यंबकेश्वर में विशेष पूजा आवश्यक होती है।
बिना ब्राह्मण के पूजा संभव है?
हाँ, यदि सही विधि और मंत्रों के साथ श्रद्धापूर्वक की जाए।
Reference – https://www.quora.com/What-is-the-method-of-performing-Pitra-Dosha-Puja-at-home