भारतीय ज्योतिष में कालसर्प दोष का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं। माना जाता है, अगर जन्मकुंडली में सारे ग्रह राहु-केतु के बीच फँस जाएं, तो यह दोष बनता है। उस वक्त इंसान की ज़िंदगी में अचानक अड़चनें, टेंशन और खासकर शादी, संतान या करियर में रुकावटें आने लगती हैं।
अब सवाल उठता है — क्या सच में कालसर्प दोष की वजह से शादी में देरी होती है? चलिए, इसी सवाल का जवाब ढूँढते हैं और देखते हैं इससे छुटकारा पाने का क्या रास्ता है।

कालसर्प दोष क्या है?
जब जन्मकुंडली में सारे सात ग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि) राहु-केतु के बीच आ जाएं, तो इसे ही कालसर्प दोष कहते हैं।
ऐसा लगने लगता है जैसे पुराने कर्मों के अधूरे फल, पितरों के ऋण, या अचानक बड़ा बदलाव ज़िंदगी में दस्तक दे रहे हैं।
इस दोष के भी कई टाइप होते हैं — अनंत, कुलिक, वासुकी, शंखपाल, पद्म, महापद्म, तक्षक वगैरह। हर टाइप का असर ज़िंदगी के अलग-अलग हिस्सों पर दिखता है।
कालसर्प दोष और शादी में देरी
शादी हर किसी की ज़िंदगी का अहम हिस्सा है। कालसर्प दोष अगर कुंडली में असर दिखा रहा है, तो शादी में रुकावट आना आम बात हो जाती है।
ये दोष खासकर इन भावों को परेशान करता है:
सप्तम भाव (विवाह भाव)
इसी भाव से जीवनसाथी और शादीशुदा सुख जुड़ा है। राहु-केतु की वजह से रिश्ता टूट जाता है या सही इंसान मिलने में वक्त लग जाता है।
द्वितीय और अष्टम भाव
परिवार और रिश्तों से जुड़े ये भाव भी गड़बड़ा जाते हैं, जिससे घर में झगड़े बढ़ सकते हैं।
पंचम भाव
प्यार के रिश्ते और वैवाहिक तालमेल में भी अड़चनें आती हैं।
कई बार राहु दिमाग में शक या कन्फ्यूजन डाल देता है — रिश्ता टिकता नहीं। केतु की वजह से इंसान अकेला महसूस करता है, या भावनात्मक दूरी आ जाती है।
कालसर्प दोष के कारण शादी में देरी के लक्षण
अगर आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है और शादी टल रही है, तो आप ये चीज़ें महसूस कर सकते हैं:
बार-बार रिश्ता तय होते-होते टूट जाना
घरवालों का विरोध या मनमुटाव
आत्मविश्वास की कमी, या शादी का नाम सुनकर उलझन
सही जीवनसाथी ढूँढने में लगातार अड़चन
मन में बेसब्री या चिंता
ऐसी हालत में वैदिक उपाय, पूजा और सही मार्गदर्शन से राहत मिलती है।
कालसर्प दोष की वजह से शादी क्यों रुक जाती है?
पुराने कर्मों का बोझ
ज़्यादातर मान्यता यही है कि कालसर्प दोष पिछले जन्म के अधूरे कर्मों का असर है। कई बार इंसान को अपने फैसलों में देरी झेलनी पड़ती है।
ग्रहों का असंतुलन
राहु-केतु की वजह से बाकी शुभ ग्रह कमजोर पड़ जाते हैं। अगर शुक्र (जो शादी का कारक है) भी कमजोर हो जाए, तो शादी में और रुकावटें आती हैं।
मानसिक अस्थिरता
कई बार इंसान सही फैसला नहीं ले पाता, कन्फ्यूजन बढ़ जाती है — और शादी का मामला लटक जाता है।
कालसर्प दोष निवारण — शादी में देरी कैसे दूर करें?
त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष पूजा
नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष मुक्ति के लिए खास पूजा होती है। यहाँ शिव जी की पूजा से ग्रहों का संतुलन लौटता है और शादी के रास्ते की मुश्किलें आसान हो जाती हैं।
महामृत्युंजय जाप
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे…” — रोज़ कम से कम 108 बार इस मंत्र का जाप करने से मन शांत होता है, और राहु-केतु की नेगेटिविटी भी घटती है।
नाग पूजा और शिवलिंग अभिषेक
सोमवार को शिवलिंग पर दूध, जल, बेलपत्र चढ़ाएं। नाग पंचमी के दिन नागदेवता की पूजा करें — इससे भी फायदा मिलता है।
दान-पुण्य
काले तिल, उड़द, लोहे का बर्तन, या कंबल दान करें। इससे राहु-केतु शांत रहते हैं।
पूजा के लिए सही गुरु क्यों ज़रूरी है?
कालसर्प दोष की पूजा आसान नहीं है — सही और अनुभवी पंडित चाहिए। पूजा का तरीका, मंत्र, विदि — सबकुछ बहुत मायने रखता है।
त्र्यंबकेश्वर के शिवेश गुरु जी इस काम में एक्सपर्ट हैं। हजारों लोग उनके पास आकर शादी, करियर और लाइफ की परेशानियों से राहत पा चुके हैं।
पूजा से पहले अपनी कुंडली दिखा लें, ताकि सही दिन और मुहूर्त पर पूजा हो सके।
निष्कर्ष
एक बात साफ है — कालसर्प दोष ज़िंदगी में देरी, उलझन और बेचैनी ला सकता है, लेकिन ये हमेशा के लिए नहीं रहता। अगर आप सही ज्योतिष सलाह और पूजा विधि अपनाते हैं, तो हालात बदल सकते हैं। त्र्यंबकेश्वर में शिवेश गुरु जी के मार्गदर्शन में करवाई गई पूजा, शादी में आ रही अड़चनों को दूर करने में सचमुच मदद करती है। ज़िंदगी में फिर से पॉजिटिविटी और संतुलन लौट आता है।
कालसर्प दोष से मुक्ति से जुड़े सामान्य प्रश्न
क्या कालसर्प दोष वाकई शादी में देरी लाता है?
हां, कालसर्प दोष सप्तम भाव पर असर डालता है, जिससे शादी में बार-बार रुकावटें आती हैं।
पूजा के तुरंत बाद फर्क दिखता है?
कई लोग पूजा के बाद मन में शांति और पॉजिटिव बदलाव महसूस करते हैं, लेकिन कभी-कभी असर धीरे-धीरे दिखता है।
कालसर्प दोष पूजा कहाँ कराएं?
त्र्यंबकेश्वर (नासिक) सबसे प्रसिद्ध जगह है, और वहाँ शिवेश गुरु जी अनुभवी पंडित हैं।
क्या अकेले पूजा करने से भी लाभ होता है?
बिना किसी अनुभवी गुरु के, खुद से पूजा करने पर पूरा लाभ नहीं मिलता। सही विधि और गुरु का मार्गदर्शन ज़रूरी है।