कुंभ विवाह से संबंधित दोष व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में विभिन्न प्रकार की बाधाएँ पैदा कर सकते हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण दोषों के मुख्य दोष में शुमार हैं—मांगलिक दोष और कुंभ दोष। जब कोई व्यक्ति कुण्डली में ऐसे योग मिलते हैं जिससे जीवनसाथी को कष्ट या विवाह में देरी की संभावनाएँ दिखाई दें, तब कुंभ विवाह एक लाभकारी और पारंपरिक उपाय माना जाता है।

यह विवाह किसी व्यक्ति और एक प्रतीकात्मक रूप — जैसे कुंभ (घड़ा), पीपल का वृक्ष, शालिग्राम, अथवा भगवान विष्णु के स्वरूप — के बीच किया जाता है। इससे व्यक्ति की कुण्डली में मौजूद अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम हो जाता है और वास्तविक वैवाहिक जीवन में सुख-शांति प्राप्त होती है।

 कुंभ विवाह: कुण्डली के दोषों से मुक्ति का शुभ उपाय

कुंभ विवाह क्या है?

कुंभ विवाह एक धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें:

 कन्या या वर का प्रतीकात्मक विवाह

घड़े या देव रूप से कराया जाता है

 जिससे पूर्व जन्म या वर्तमान जन्म के दोष शांत माने जाते हैं

यह विवाह दोष निवारण संस्कार के रूप में प्रसिद्ध है। 

किन लोगों के लिए कुंभ विवाह आवश्यक है?

कुंभ विवाह निम्न स्थितियों में बहुत ही लाभदायक माना जाता है—

 मांगलिक दोष

 नाड़ी दोष

 कुंभ दोष

 कालसर्प दोष के प्रभाव से विवाह में बाधा

 विवाह में बहुत अधिक देरी

 बार-बार रिश्तों में असफलता

 जीवनसाथी के लिए कष्टकारी योग

ज्योतिषीय सलाह के बाद ही यह पूजा करानी चाहिए।

कुंभ विवाह कैसे किया जाता है?

यह संस्कार मुख्यतः त्र्यंबकेश्वर (नासिक) और उज्जैन जैसे शक्तिपीठों में विशेष रूप से किया जाता है।

संक्षिप्त विधि:

1. धर्मशास्त्र अनुसार मुहूर्त निर्धारण

2. गणेश पूजन, मंगलाचरण

3. कलश स्थापना — यह प्रतीकात्मक जीवनसाथी होता है

4. कन्या/वर का विवाह संस्कार, फेरे, मंगलसूत्र, सिंदूर विधि

5. अंत में दोष निवारण हवन

कुंभ विवाह के बाद व्यक्ति वास्तविक विवाह के लिए पूर्णत: शुभ माना जाता है।

कुंभ विवाह कहाँ कराया जाए?

 त्र्यंबकेश्वर, नासिक — शिव ऊर्जा और कालसर्प दोष निवारण का प्रसिद्ध स्थल

 उज्जैन — ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर का दिव्य क्षेत्र

 काशी, गया, हरिद्वार आदि

त्र्यंबकेश्वर में विशेष रूप से इस पूजा का महत्व अधिक है।

अनुभवी गुरुजी का महत्व

इस अनुष्ठान में मंत्र-उच्चारण, विधि-विधान और मुहूर्त निर्धारण अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। 

त्र्यंबकेश्वर में बहुत से श्रद्धालु शिवेश गुरु जी को

कालसर्प पूजा एवं विवाह दोष निवारण विधियों में अत्यधिक अनुभवी और विश्वसनीय मार्गदर्शक मानते हैं। 

उनके दिशा-निर्देशन में बहुत से लोग सकारात्मक परिणाम अनुभव कर चुके हैं।

निष्कर्ष

कुंभ विवाह जीवन में नई शुरुआत का रास्ता उन लोगों के लिए प्रशस्त करता है, जिनकी कुण्डली में ग्रह दोषों के कारण विवाह का रास्ता मुश्किलें का सामना कर रहा हो। यह विधि परंपरा, आस्था और वैदिक ज्योतिष पर आधारित है — शिवेश गुरु जी गुरु के निर्देशन में इसे करने पर शुभ फल अवश्य मिलते हैं।

कुंभ विवाह से जुड़े सामान्य प्रश्न

क्या कुंभ विवाह के बाद वास्तविक विवाह में कोई समस्या आती है?

नहीं, इसके बाद विवाह के योग शुभ बन जाते हैं और दांपत्य जीवन सुखद माना जाता है।

कुंभ विवाह का सही स्थान कौन-सा है?

त्र्यंबकेश्वर में इसे अत्यंत शुभ माना गया है।

इसमें कितना समय लगता है?

यह संस्कार प्रायः 2–3 घंटे में संपन्न हो जाता है।

क्या कुंभ विवाह से मांगलिक दोष समाप्त होता है?

हाँ, मान्यतानुसार मंगल के अशुभ प्रभाव बहुत कम हो जाते हैं।

क्या यह विधि हर किसी के लिए आवश्यक है?

नहीं, सिर्फ ज्योतिषीय सलाह के बाद ही कराना चाहिए।

Reference – https://hi.quora.com/%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%82%E0%A4%AD-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B9-%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%8F

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