हिन्दू धर्म में माँ दुर्गा के नौ रूपों की उपासना विशेष रूप से नवरात्रि में होती है। इन नौ रूपों में सातवाँ स्वरूप माँ कालरात्रि का है। “काल” अर्थात समय और “रात्रि” अर्थात अंधकार। यानी वह शक्ति जो समय और अंधकार दोनों पर नियंत्रण रखती हैं।

माँ कालरात्रि को काली, श्यामवर्णा, नीलवर्णा, भद्रकाली आदि नाम से भी जाना जाता है। यह भय का अंत करने वाली देवी हैं। इनका स्वरूप भले ही उग्र हो, परन्तु भक्तों को अनंत कृपा और सुरक्षा प्रदान करती हैं।

माँ कालरात्रि

माँ कालरात्रि का दिव्य स्वरूप

माँ का शरीर गहरा कृष्ण वर्ण है।

केश खुले हुए और प्रचंड वायु में लहराते रहते हैं।

गर्दन से घनघोर ध्वनि वाले हार की शोभा।

तीनों नेत्र सदा अग्नि के समान चमकते हैं।

मुँह से अग्नि ज्वालाएँ निकलती रहती हैं।

वाहन – गर्दभ (गधा)

दाएं हाथ – वरमुद्रा एवं अभयमुद्रा

बाएं हाथ – लौह अस्त्र व कांटा

इनके दर्शन मात्र से ही समस्त नकारात्मक ऊर्जा, भूत-प्रेत, तांत्रिक प्रभाव और रोगों का नाश होता है।

माँ कालरात्रि का महत्व

 साधक के जीवन से भय, बाधा, शत्रु का नाश होता है

 अचानक घटनाओं, दुर्घटनाओं से रक्षा करती हैं

 आध्यात्मिक साधना को उंचाई पर पहुंचाती हैं

 गुप्त विद्याओं में साधकों को सिद्धि प्राप्त करने में मदद करती हैं

 कुंडली के पाप ग्रहों का प्रभाव शांत करती हैं

इन्हें रौद्र रूप काहा जाता है, लेकिन उनकी अंतरात्मा में माँ का वात्सल्य हमेशा विद्यमान रहता है।

जो बच्चा डरने से कांप रहा हो – उसी के लिए माँ अपना उग्र रूप दिखाती हैं ताकि उसका डर भाग जाए।

माँ कालरात्रि पूजा विधि (घर में सरल रूप में)

यदि आप नवरात्रि में माँ कालरात्रि का पूजन करना चाहते हैं, तो सुबह स्नान कर शुद्ध व वस्त्र धारण करें।

पूजा में निम्न सामग्री रखें—

 लाल कपड़ा

 काली चना

 गुड़

 लाल/सफेद पुष्प

 कपूर और धूप

पूजन प्रक्रिया

1. माँ को चंदन, कुमकुम और अक्षत अर्पित करें

2. गुड़ और काले चने का भोग लगाएँ

3. कालरात्रि स्तुति या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें

4. जाप “ॐ क्लीं कालरात्र्यै नमः” कम से कम 108 बार करें

5. आरती कर शत्रु निवारण व भय से मुक्ति की प्रार्थना करें

माँ की कृपा से ग्रह बाधाएँ, विशेषकर राहु-केतु संबंधी कष्ट भी शांत होते हैं।

राहु-केतु और माँ कालरात्रि का विशेष संबंध

कालरात्रि देवी राहु और केतु के अशुभ प्रभाव को शांत करने वाली देवी मानी जाती हैं।

कुंडली में कालसर्प दोष, पितृ दोष, तांत्रिक बाधा या अजायब परेशानियों से जूझ रहे लोग इनकी विशेष पूजा करवाते हैं।

इसीलिए त्र्यंबकेश्वर (नाशिक) में किए जाने वाले कालसर्प दोष निवारण पूजा में भी देवी कालरात्रि का आह्वान बहुत महत्वपूर्ण होता है।

त्र्यंबकेश्वर – कालसर्प दोष मुक्ति का अद्वितीय तीर्थ

भगवान त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के चरणों में कालसर्प दोष का निवारण सर्वाधिक प्रभावी माना गया है।

यहाँ हजारों लोग प्रतिदिन दोष मुक्ति के लिए आते हैं।

यह प्रक्रिया शास्त्रोक्त विधि, मंत्रोच्चार और देवी के आशीर्वाद से संपन्न होती है।

त्र्यंबकेश्वर में सर्वश्रेष्ठ कालसर्प पूजा – शिवेश गुरु जी

यदि आप भी कालसर्प दोष, पितृ दोष या राहु-केतु संबंधी पीड़ा से परेशान हैं,

तो त्र्यंबकेश्वर के प्रसिद्ध व अनुभवी आचार्य —

शिवेश गुरु जी

कालसर्प पूजा, नारायण नागबली, त्रिपिंडी श्राद्ध आदि शास्त्र सम्मत विधियों के उत्कृष्ट पंडित माने जाते हैं।

 दशकों का अनुभव

 वैदिक ब्राह्मण परिवार

 पूर्ण शास्त्रीय विधि से पूजा

 सभी यात्रियों को मार्गदर्शन

माँ कालरात्रि की कृपा से इनके द्वारा किए गए अनुष्ठान हजारों भक्तों को लाभ दे चुके हैं.

निष्कर्ष

माँ कालरात्रि भय का समापन नहीं करतीं, बल्कि आध्यात्मिक और भौतिक जीवन में हमारे आत्मविश्वास, रक्षा और सफलता का गदर वास्ता प्रस्तुत करती हैं। नवरात्रि के सातवें दिन इनका पूजन विशेष फलदायक माना जाता है। राहु-केतु के कष्ट और कालसर्प दोष आदि ग्रहदोष के समाधान के लिए भी माँ की पूजा प्रभावी है। अगर आप अपने जीवन से अज्ञात भय, बाधा और ग्रहदोष को निशान से मिटाना चाहते हैं — माँ कालरात्रि की कृपा और त्र्यंबकेश्वर में शिवेश गुरु जी द्वारा शास्त्रोक्त पूजा लाभकारी हो सकती है।

माँ कालरात्रि से जुड़े सामान्य प्रश्न

माँ कालरात्रि की पूजा कब करनी चाहिए?

नवरात्रि के सातवें दिन सर्वोत्तम, परंतु किसी भी शुभ तिथि में की जा सकती है।

क्या कालसर्प दोष में माँ कालरात्रि की पूजा उपयोगी है?

जी हाँ, राहु-केतु के दुष्प्रभाव को शांत करती हैं।

घर पर सरल रूप से पूजा कैसे करें?

काले चने, गुड़ और “ॐ क्लीं कालरात्र्यै नमः” मंत्र के साथ ध्यान करें।

कालसर्प पूजा कहाँ कराएँ?

त्र्यंबकेश्वर मंदिर, नाशिक में शास्त्रोक्त विधि से।

किस पंडित से संपर्क करें?

त्र्यंबकेश्वर में शिवेश गुरु जी कालसर्प पूजा के सर्वश्रेष्ठ पंडित माने जाते हैं।

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