भारतीय ज्योतिष शास्त्र में कई प्रकार के योग और दोष बताए गए हैं, जो किसी व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक या नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। ऐसा ही एक प्रमुख दोष है — कालसर्प दोष। यह दोष जन्मकुंडली में ग्रहों की विशेष स्थिति के कारण बनता है और कई बार व्यक्ति के जीवन में मानसिक, आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियाँ उत्पन्न करता है। आइये इस ब्लॉग में पढ़ते हैं कि क्या है कालसर्प दोष?

कालसर्प दोष कैसे बनता है?
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, तब उस कुंडली में कालसर्प दोष बनता है। राहु और केतु को छाया ग्रह कहा जाता है और ये सदैव वक्री (retrograde) गति से चलते हैं। जब शेष सभी ग्रह जैसे सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि राहु-केतु की धुरी के बीच में स्थित हों, तो यह दोष उत्पन्न होता है।
कालसर्प दोष के प्रकार
कालसर्प दोष के कुल 12 प्रकार होते हैं, जो राहु और केतु की स्थिति पर निर्भर करते हैं। कुछ प्रमुख प्रकार हैं:
- अनंत कालसर्प दोष – राहु लग्न में और केतु सप्तम में होता है।
- कुलिक कालसर्प दोष – राहु द्वितीय भाव में और केतु अष्टम भाव में होता है।
- वासुकी कालसर्प दोष
- शंखपाल कालसर्प दोष
- पद्म कालसर्प दोष
- महापद्म कालसर्प दोष
- तक्षक कालसर्प दोष
- कर्कोटक कालसर्प दोष
- शंखचूड़ कालसर्प दोष
- घातक कालसर्प दोष
- विशधर कालसर्प दोष
- शेषनाग कालसर्प दोष
हर प्रकार का दोष जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों को प्रभावित करता है जैसे शिक्षा, नौकरी, विवाह, संतान सुख, आर्थिक स्थिति आदि।
कालसर्प दोष के लक्षण
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष है, तो उसके जीवन में निम्नलिखित समस्याएं आ सकती हैं:
- बार-बार बाधाएं आना
- लगातार असफलताएं
- विवाह में देरी या समस्याएं
- संतान सुख में बाधा
- नौकरी या व्यापार में नुकसान
- मानसिक तनाव और डर
- नींद में साँप देखने के सपने
इन संकेतों के कारण व्यक्ति को मानसिक तनाव और आत्मविश्वास की कमी महसूस होती है।
क्या हर कालसर्प दोष बुरा होता है?
यह जरूरी नहीं कि हर कालसर्प दोष जीवन में केवल कष्ट ही दे। यदि व्यक्ति की कुंडली में शुभ ग्रहों की स्थिति मजबूत हो या अन्य योग सकारात्मक हों, तो यह दोष उतना प्रभावी नहीं होता। कुछ मामलों में यह व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से उन्नत भी कर सकता है। लेकिन आमतौर पर यह बाधाओं और रुकावटों का कारण बनता है, इसलिए इसकी शांति आवश्यक होती है।
कालसर्प दोष की शांति कैसे करें?
कालसर्प दोष की शांति के लिए त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (नासिक, महाराष्ट्र) में विशेष पूजा की जाती है। यहाँ त्र्यंबकेश्वर गुरुजी द्वारा वैदिक विधि से कालसर्प दोष निवारण पूजा कराई जाती है।
यह पूजा विशेष रूप से:
- कालसर्प योग से मुक्ति के लिए
- जीवन में आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए
- मानसिक और आर्थिक शांति के लिए
- कुंडली के दोषों को शांत करने के लिए की जाती है।
पूजा के दौरान शिव जी, नागदेवता, और पितृों की विशेष आराधना की जाती है।
निष्कर्ष
यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है और आप लगातार जीवन में बाधाएं, मानसिक तनाव, या असफलताओं का सामना कर रहे हैं, तो आपको इस दोष की शांति अवश्य करवानी चाहिए। इससे न केवल आपकी कुंडली में संतुलन आएगा, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी शांति प्राप्त होगी।
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त्र्यंबकेश्वर गुरुजी
स्थान: त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, नासिक, महाराष्ट्र
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